मोहब्बत का ज़माना आ गया है

मोहब्बत का ज़माना आ गया है।
लगे मौसम सुहाना आ गया है।
गुज़रे करीब से वो पलकें झुकाए
उन्हें दिल धड़काना आ गया है।
बेताबी इतनी उन को देखने की
मगर आंखें भी चुराना आ गया है।
इज्तिराब ए शौक हमसे न पूछो
बेसबब मुस्कराना आ गया है।
खुदा माना उनको हमने इश्क़ में
जबीं को झुकाना आ गया है।
अपने आप से करते हैं गुफ्तगू
दिल उस पे दीवाना आ गया है।
दिल में उनके बनाया है आशियां
ढूंढना अब ठिकाना आ गया है।
सुरिंदर कौर