कांटों में क्यूं पनाह दी

खुदा तूने हर फूल को काँटों में क्यू पनाह दी।
फिर ये सितम फूल की राह में राही को राह दी।
एक ड़र सा लगा रहता है फूलों को हर वक़्त
और ये भी सितम हर शख्स को फूलो की चाह दी।
काँटे करते है हर झोके के साथ फूल को जख्मी
हर फूल ये कहे ऐ खुदा ये कैसी तूने आह दी।
हर रात नहला जाती है फूलों को शबनम यारो
और जख्मो में पानी पड़ जाये ,ये कैसी तूने आह दी।
Kaur surinder