पराठों का स्वर्णिम इतिहास
जब व्यक्ति वर्तमान से अगले युग में सोचना और पिछले युग में जी
रास्तों को देखकर रास्ता बदलने वाले
"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
बनावट से छुपा लो ऐब लेकिन
मल्हारी गीत "बरसी बदरी मेघा गरजे खुश हो गये किसान।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
पुरुष ने संभाला है प्यार,दोस्ती,परिस्थिति,
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
*प्रभु जी नया कार्य जीवन में, शुभ मंगलकारी हो (गीत)*
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
"जिन्दगी के कुछ रिश्ते हमेशा दिलो में बसा करते है।"
आज कल सोशल मीडिया में सकारात्मक भंगिमा को स्वीकारते नहीं हैं
पूर्णिमांजलि काव्य संग्रह
मैं बुलाऊं तो तुम आओगे ना,