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7 Apr 2023 · 1 min read

मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने

मां के हाथ में थामी है अपने जिंदगी की कलम मैंने
जब से खुद को पूरे शहर का शहजादा समझता हूं।

मां को मैं समझता हूं अपने हक का वकील यहां..,
जमाने को मैं तमाशा ए अदालत समझता हूं…..।।

✍️कवि दीपक सरल

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