Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Mar 2023 · 1 min read

चार तांका

1. जब से प्रीति
मन के गांव बसी
महके अंग
मन-सितार बजे
नये सपने सजे ।

2, पीपल पात
तालियाँ बजा रहे
मुग्ध चिडिया
सहसा गाने लगी
उदासी जाने लगी ।

3. बरसे मेघ
पुरवाई मचली
धरती सजी
इन्द्रधनुष आया
थिरक उठी काया ।

4. आशा के दीप
खिलखिलाते रहे
दिखाते रहे
खुशियों की डगर
पड़ाव के नगर ।

Loading...