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22 Mar 2023 · 1 min read

कविता

कविता भी तो एक स्त्री ही है
जिसने जैसा चाहा वैसे
ही शब्दों में उकेर दी
जाती है सबके मनोभावों सी
मुखरित हो जाती है

स्वरचित

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