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11 Mar 2023 · 1 min read

#हिरदेपीर भीनी-भीनी

★ #हिरदेपीर भीनी-भीनी ★

बिरहा के रंग से हुई काली
बीच राह खड़ी जो मतवाली
उदास नींदें पूछ रहीं
प्रियतम ऐसी रातों का क्या

प्रियतम ऐसी रातों का क्या . . .

शब्दों की परिधि न समाये जो
बिन कहे सुनी न जाये जो
कथा अधूरी रह जाये
साजन ऐसी बातों का क्या

प्रियतम ऐसी रातों का क्या . . .

हिरदेपीर भीनी-भीनी
प्रेमसदन ने जो दीनी
तेरे नाम की बावरी
प्रेमजनित मातों का क्या

प्रियतम ऐसी रातों का क्या . . .

प्रेम और ताप अनुराग बहुत
सावन भादों में आग बहुत
मन भीजे न तुम रीझे
ऐसी निष्फल बरसातों का क्या

प्रियतम ऐसी रातों का क्या . . .

मदनप्रिया का वो मर्दन
हुई बीती का आवर्तन
भस्म रति इस बार हुई
क्षुधित तृषित भातों का क्या

प्रियतम ऐसी रातों का क्या . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

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