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8 Jun 2023 · 1 min read

■ सियासी ग़ज़ल

#सियासी_ग़ज़ल
■ सत्ता का शिव धनुष
【प्रणय प्रभात】

★ सत्ता का शिव-धनुष उठाएगा वो ही।
सब मिल रोते रहना छाएगा वो ही।।

★ तुम बिल्ली से रोटी ले लड़ते रहना।
और देखना आख़िर खाएगा वो ही।।

★ भला-बुरा, आड़ा-टेड़ा, ऊंचा-नीचा।
जो दिखलाएगा दिखलाएगा वो ही।।

★ नौटंकी में कोरस से तुम सबके सुर।
असली गायक वो है गाएगा वो ही।।

★ अंतर्द्वंद्व तुम्हारे रस्ता खोलेंगे।
अभी नहीं आगे भी आएगा वो ही।।

★ जिसे मशाल समझते हो इक शम्मा है।
हाथ हिला हर बार बुझाएगा वो ही।।

★ ख़ूब बनाते रहो ताश की मीनारें।
मार-मार के फूंक ढहाएगा वो ही।।

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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