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6 Mar 2023 · 1 min read

आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा

आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
तो गुनहगार गुनाहों की सज़ा पूछेगा

मेरे महबूब का दीदार मय्यसर हो तो
आँख में दिल को बिठा कर के मज़ा पूछेगा

सोच से मुझपर जहन्नुम को न वाजिब करना
ये वो अल्फ़ाज़ हैं हमसे जो ख़ुदा पूछेगा

रूह बीमार है करले तू अयादत ख़ुद की
बे-सुकूँ क़ल्ब की कब जा के दवा पूछेगा

उलझा रहता है यज़ीदो के ही किस्सो में ‘फ़ुज़ैल’
फिक्र कर ये के ख़ुदा कब्र में क्या पूछेगा

©फ़ुज़ैल सरधनवी

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