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4 Mar 2023 · 1 min read

गज़ल

टीस मन से हमारे निकल जायेगी
रंग मसले का फिर ये बदल जायेगी

पेड़ पर जैसे पत्ते नये आतें हैं
होके पतझड़ बहारों में ढ़ल जायेगी

लोग कहतें हैं मुझमें सियासत नही
सोच उनकी ये सत्ता निगल जायेगी

दफ़्न होगी धुएँ में जो इंसानियत
उस धमाके से दुनिया दहल जायेगी

भूख से रोग से लड़ रहे थे महज़
ज़िन्दगी जंग में यूँ मसल जायेगी

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