Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Feb 2023 · 1 min read

इज़हार कर ले एक बार

बदनाम कर रहे शहर वाले
लेकिन तुम्हें ये पता ही नहीं
लगता है सुरुर इश्क़ का
तुम्हारा अभी उतरा ही नहीं

है ये नशा ही ऐसा इश्क़ का
ये आसानी से उतरता ही नहीं
एक वो सनम है तेरा जो
इकरार इश्क़ का करता ही नहीं

तू कब तक तड़पता रहेगा यूं ही
उसका दिल तेरे लिए धड़कता ही नहीं
है जाने किस गुमान में वो अब भी
जो ये नशा उसको चढ़ता ही नहीं

कब तक तस्वीर निहारोगे उसकी
वो कभी सामने तेरे आता ही नहीं
तू तो खो गया है इश्क़ में जिसके
ये इश्क़ तेरा उसे क्यों भाता ही नहीं

इश्क़ करता है बेतहाशा उससे
लेकिन उससे तू जता पाता ही नहीं
इज़हार करना भी ज़रूरी है बहुत
लेकिन तू इज़हार कर पाता ही नहीं

है ये कैसा इश्क़ तेरा
जो उसे तुझपर एतबार आता ही नहीं
पता कर ले एक बार अच्छी तरह
कहीं उसके दिल में कोई और ही तो नहीं

न कर बर्बाद समय एक तरफा प्यार में
गया समय लौटकर आता ही नहीं
कह दे एकबार कि बहुत प्यार करता है उससे
फिर छोड़ दे अगर कोई जवाब आता ही नहीं।

Loading...