*मस्तियों की आ गई ऋतु, अब हवा में प्यार है (हिंदी गजल)

मस्तियों की आ गई ऋतु, अब हवा में प्यार है (हिंदी गजल)
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(1)
मस्तियों की आ गई ऋतु, अब हवा में प्यार है
सात रंगों से समूचा, खिल रहा संसार है
(2)
रात पूनम की हुई जब, बेशरम कहने लगी
गंध हृदयों की प्रकट है, फागुनी उद्गार है
(3)
आचरण बूढ़े जवानों, की तरह करने लगे
त्रुटि नहीं इनकी मधुर यह, सरस ऋतु उपहार है
(4)
आ गया रति को लुभाने, कामदेव प्रसन्न हो
सौ-सौ रचयिता देवगण, आपका आभार है
(5)
छह बनाईं ऋतु धरा पर, सृष्टिकर्ता ने भले
पर अलौकिक चैत-फागुन, का मधुर श्रंगार है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 61 54 51