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8 Feb 2023 · 1 min read

■ बोली की ग़ज़ल .....

👉 बोली की ग़ज़ल….
【प्रणय प्रभात】

★ सुख-दुःख दोनों हैं हमजोली।
आओ, खेलें आँख-मिचौली।।

★ तब तक अपने रहे पराये।
जब तक मन की गांठ न खोली।।

★ नीम रहा कड़वा का कड़वा।
पक कर मीठी हुई निंबोली।।

★ कब तक पेड़ खड़ा रह पाता?
जड़ तो जड़, मिट्टी भी पोली।।

★ इंसानी बस्ती का सच है।
गंदा तकिया, उजली ख़ोली।।

★ गंगा तट पर पाप सलामत।
सब ने मैली चादर धो ली।।

★ गूंगे बोलें, बहरे सुन लें।
सबसे बड़ी प्यार की बोली।।

#प्रभात_प्रणय
(08 फरवरी 2017)

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