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3 Feb 2023 · 1 min read

श्री राम का जीवन– गीत

काश के श्री राम के नयनों में भी कुछ नीर होता,
काश कि दुनिया उन्हें भी, कुछ समय तो समझ पाती।

काश कैकई क्रूर ना होती जो कुछ पल के लिए तो,
पिता से यूं पुत्र का मिलकर बिछड़ना छूट जाता।
काश दशरथ एक पल रघुकुल की रीति भूल जाते,
यूं विरह में राम के तज प्राण जाना छूट जाता।
काश कुछ पल के लिए सोते ना जो अवधेश वासी,
राम का यूं सरयू के उस पार जाना छूट जाता।
होती ना मोहित सिया यूं स्वर्ण मृग पर जो कभी तो,
राम के विरह में सिया के अश्रु गिरना छूट जाता।
काश लक्ष्मण जाते ना उस पल सिया को छोड़कर के,
तो दशानन कांपता सीता हरण को सोचकर के।
काश सिया जाती ना रेखा पार कुछ पल के लिए तो,
यूं दशानन का हरण का स्वप्न उस फल टूट जाता।
काश उस पल यूं ना लगती शक्ति जाकर के लखन को,
राम के नयनों से उस पल नीर आना छूट जाता।
काश रावण मान जाता हारकर जिद से स्वयं की,
उसका यूं श्री राम के चरणों में मरना छूट जाता।
यूं लिखी जो पट–कथा थी एक रावण के जन्म की
अन्त उसका राम के हाथों से होना छूट जाता।

काश की श्री राम के नयनों में भी कुछ नीर होता,
काश की दुनिया उन्हें भी कुछ समय तो समझ पाती।

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

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