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28 Jan 2023 · 1 min read

नया फरमान

किसी ख़ैर-ख़्वाह ने अभी मुझे
सुनाया फ़रमान सरकारी है
तुम ऐसे कलम से मत खेलो
क्योंकि यह तलवार दोधारी है…
(१)
जो अवाम का मर्सिया नहीं,
हुक़्मरान का कसीदा गाए
सोचो वह कोई दानिश्वर या
केवल एक गायक दरबारी है…
(२)
मानवता का एक क़ातिल जो
आज सबको मसीहा लगता है
और कुछ नहीं यह, साथियों
गोदी मीडिया की फनकारी है…
(३)
वे अपनी मर्ज़ी से रह न सकें
आंखों देखा सच कह न सकें
इस देश के शायरों के लिए
अब इतनी भी क्या लाचारी है…
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Shekhar Chandra Mitra
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