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21 Jan 2023 · 1 min read

इश्क़ का पिंजरा ( ग़ज़ल )

इश्क़ का पिंजरा “-

हर पल…. उन्हें बस याद करते हैं ।
हम वक़्त….. कहाँ बर्बाद करते हैं ।।

बस…… उनके तसव्वुर से अपना ।
आशियाना…….. आबाद करते हैं ।।

चुपचाप….. सह लेते हैं सारे सितम ।
ख़िलाफ़ उनके कहां जेहाद करते हैं ।।

ख़ुद रहते हैं……. इश्क़ के पिंजरे में ।
बस परिंदों को हम आज़ाद करते हैं ।।

“काज़ी”……… चाहत की जादूगरी से ।
रंज के लम्हों को भी….. शाद करते हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम

28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इकबाल कालोनी
इंदौर , जिला-इंदौर , मध्यप्रदेश

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