Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2023 · 1 min read

विचार

ज्ञान की गंगा सभी को पावन करना चाहती है | कुछ उसमे स्वयं को पूरी तरह से डुबो लेते हैं, कुछ तैरकर बाहर आ जाते हैं , कुछ चाहकर भी उस गंगा में नहाना नहीं चाहते |

2 Likes · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

खैर-ओ-खबर के लिए।
खैर-ओ-खबर के लिए।
Taj Mohammad
बाईसवीं सदी की दुनिया
बाईसवीं सदी की दुनिया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
रोना धोना
रोना धोना
Khajan Singh Nain
जब भी दिल का
जब भी दिल का
Neelam Sharma
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
SATPAL CHAUHAN
बात बहुत सटीक है। आजकल का प्रेम विफल होने का एक मुख्य कारण य
बात बहुत सटीक है। आजकल का प्रेम विफल होने का एक मुख्य कारण य
पूर्वार्थ
भारत का राम
भारत का राम
Shashi Mahajan
माधुर्य
माधुर्य
Rambali Mishra
अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव दोनों आवश्यक है वो इसलिए क्योंकि
ललकार भारद्वाज
ख़ुद में भी
ख़ुद में भी
Dr fauzia Naseem shad
फूलों का बगीचा नदी के उस पार है।
फूलों का बगीचा नदी के उस पार है।
Madhu Gupta "अपराजिता"
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
श्री अयोध्या धाम और चित्रकूट यात्रा
श्री अयोध्या धाम और चित्रकूट यात्रा
श्रीकृष्ण शुक्ल
ঈশ্বর কে
ঈশ্বর কে
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
संतोष सोनी 'तोषी'
होली के रंग हो,
होली के रंग हो,
Rati Raj
दीवाना कर गया मुझे
दीवाना कर गया मुझे
Nitu Sah
जीत हार का देख लो, बदला आज प्रकार।
जीत हार का देख लो, बदला आज प्रकार।
Arvind trivedi
3059.*पूर्णिका*
3059.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नैतिकता बिकने लगे, डिग जाए ईमान
नैतिकता बिकने लगे, डिग जाए ईमान
RAMESH SHARMA
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
पंकज परिंदा
तेरा ज़िक्र
तेरा ज़िक्र
Sakhi
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
*प्रणय प्रभात*
एक दिये का कमाल
एक दिये का कमाल
MEENU SHARMA
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
रूह संग लिपटी
रूह संग लिपटी
Surinder blackpen
कमबख़्त ये इश्क़ भी इक आदत हो गई है
कमबख़्त ये इश्क़ भी इक आदत हो गई है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...