*लक्ष्य (कुंडलिया)*

लक्ष्य (कुंडलिया)
__________________________________
रखते हैं जो हौसला , जिनमें है उत्साह
मंजिल पाने की जिन्हें , रहती गहरी चाह
रहती गहरी चाह , भले अंधड़ सौ छाते
उड़ – उड़ जाते पेड़ , ज्वार सागर में आते
कहते रवि कविराय ,सफलता वह जन चखते
चले सदा अविराम , लक्ष्य पर नजरें रखते
___________________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
_____________________________
अंधड़ = ऐसी आँधी जिससे वातावरण में अँधेरा और धूल छा जाए