Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2023 · 1 min read

बदला सा……

बदला सा …..

बदला सा है जीवन
मेरा सुनहरा स्वप्न
या कल्पना अलेश
पतझड़ सा मौसम
निर्जल,बेमजा सा
बन गया है बसन्त
बिखरा सा कोना कोना
सजा आज करीने से
सूखी हुई सी जमीन
छाई हरियाली अनन्त
निहारती एक टक
बेपरवाह बेफिकर
रूप रंग यूँ नवीन
लालिमा सी मुख पर
अनोखी कुछ सहज
चलती समेटकर
आँचल में प्रेम अपार
नयनो में आभा नई
सम्मुख नया संसार।।

✍️”कविता चौहान
स्वरचित एवं मौलिक

376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तेरा इश्क है काले धन सा जिसे छिपाते रहते है,
तेरा इश्क है काले धन सा जिसे छिपाते रहते है,
jyoti jwala
अश्कों की धार से
अश्कों की धार से
Mahesh Tiwari 'Ayan'
सच और सोच
सच और सोच
Neeraj Kumar Agarwal
क्यों जीना है दहशत में
क्यों जीना है दहशत में
Chitra Bisht
हनी गर्ल बनी 'यूनिसेफ' गर्ल
हनी गर्ल बनी 'यूनिसेफ' गर्ल
Indu Singh
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
इस दफ़ा मैं न उफ़्फ़ करूंगा।
Kirtika Namdev
कमी
कमी
Otteri Selvakumar
तुम ही हो मेरी माँ।
तुम ही हो मेरी माँ।
Priya princess panwar
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
Ravi Prakash
ख़्वाब कोई
ख़्वाब कोई
Dr fauzia Naseem shad
अलविदा कह कर दिल टूट गया....
अलविदा कह कर दिल टूट गया....
Surya Barman
नौलखा बिल्डिंग
नौलखा बिल्डिंग
Dr. Kishan tandon kranti
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
दिल..
दिल..
हिमांशु Kulshrestha
अब न जाने क्या हालत हो गई,
अब न जाने क्या हालत हो गई,
Jyoti Roshni
कल, आज और कल ....
कल, आज और कल ....
sushil sarna
डरा झन
डरा झन
TAMANNA BILASPURI
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय प्रभात*
भूख
भूख
अनिल मिश्र
"रिश्ता उसी से रखो जो इज्जत और सम्मान दे.,
पूर्वार्थ
जहां में
जहां में
SHAMA PARVEEN
दोहा
दोहा
Sudhir srivastava
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
Radheshyam Khatik
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
VINOD CHAUHAN
गठजोड़ नही है
गठजोड़ नही है
Harinarayan Tanha
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
Basant Bhagawan Roy
बहुत रोने का मन करता है
बहुत रोने का मन करता है
Dr. Paramjit Oberoi
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
3997.💐 *पूर्णिका* 💐
3997.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शायरी का बादशाह हूं कलम मेरी रानी अल्फाज मेरे गुलाम है बाकी
शायरी का बादशाह हूं कलम मेरी रानी अल्फाज मेरे गुलाम है बाकी
Ranjeet kumar patre
Loading...