बेचारे मास्टर जी( हिंदी गजल/ गीतिका)

बेचारे मास्टर जी( हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
शीतलहर की छुट्टी में, बच्चे घर खेल रहे हैं
बेचारे मास्टर जी देखो, ड्यूटी झेल रहे हैं
2
रोज सुबह आते हैं कट-कट-कट-कट दॉंत बजाते
बिना बात के, लगता जैसे पापड़ बेल रहे हैं
3
पूछ रहे हैं बच्चों से, यह मजे तुम्हें तो आए
लटके हुए अधर में, हम लेकिन बेमेल रहे हैं
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451