ना रहा यकीन तुझपे

ना रहा यकीन तुझपे,ना कोई उम्मीद तुमसे।
हो गई अब वो खत्म, जो थी उम्मीद तुमसे।।
ना रहा यकीन तुझपे—————–।।
यकीन मुझे नहीं हो रहा, ऐसी नहीं थी आशा।
ऐसे दिखावोगे सबको, प्यार का तुम तमाशा।।
और होगी मेरी बदनामी , यहाँ ऐसी तुमसे।
ना रहा यकीन तुझपे—————–।।
कोशिश यह करता रहा, प्यार करोगे कभी तुम।
सुधारोगे अपना अदब, ताकि नहीं हो बेजार तुम।।
देखकर हरकत तुम्हारी, नहीं ऐसी उम्मीद तुमसे।
ना रहा यकीन तुझपे——————।।
बंदिशें क्या थी तुझपे,क्या नहीं हक दिया तुझे।
खेले बहुत हो तुम मुझसे, नहीं हो बेचैनी तुझे।।
टूट गए सारे अरमान, हो गए खाक सपनें तुझसे।
ना रहा यकीन तुझपे—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)