*बड़ा नेता,बड़ा हार (हास्य व्यंग्य)*

बड़ा नेता,बड़ा हार (हास्य व्यंग्य)
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सच पूछो तो राजनीति में जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य बड़े नेता के पुष्पहार में छोटे नेता का समा जाना ही है । बड़े नेता के हार का कवरेज क्षेत्र बहुत व्यापक होने के बाद भी यह जुगाड़ पर निर्भर करता है कि छोटे नेता को उसके भीतर स्थान मिले या न मिले ? कई बार इस मामले में धक्का-मुक्की करनी पड़ती है । अगर कोई शर्माएगा या संकोच करेगा तो बृहदाकार-हार से बाहर रह जाएगा। पूरा शरीर न सही केवल चेहरे को ही हार के अंदर कर लो ,लेकिन अपनी उपस्थिति हार के भीतर दर्ज करो । इसी में जीवन का सर्वोच्च सुख निहित है।
बड़ा नेता अपने आसपास धक्का-मुक्की नहीं चाहता । अतः बाहर से शालीन, सभ्य और शांत बने रहने की एक्टिंग करते रहो । बड़े नेता को स्पर्श किए बिना जितना प्रयास कर सकते हो ,हार के भीतर घुसने का करो। कल को जिले में लोग पूछेंगे कि बड़ा नेता आया और तुम कहां थे ? तो फिर अगर हार में नहीं थे तो तुम्हारा होना न होना बेकार है । अपनी सत्ता को स्थापित करने के लिए हार में घुसना अनिवार्य है । इसे जीवन-मरण का प्रश्न बनाओ और हार में घुसने का पूरा-पूरा प्रयत्न करो । अधिक से अधिक तुम्हारे साथी यही तो कहेंगे कि यह आदमी अच्छा नहीं है । लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । जो हार के भीतर आ गया ,वह बड़ा-छुटभैया और जो बाहर रह गया वह छोटा-छुटभैया । अब यह तुम्हारी सामर्थ्य पर निर्भर करता है कि तुम बड़े बन पाते हो या छोटे रह जाते हो । कसरत करो और सफलता प्राप्त करो ।
आजकल पुष्पहार इतने बड़े और भारी बन रहे हैं कि उनको छह लोग लेकर आते हैं। आठ लोग हार को संभालते हैं और हार के भीतर केवल तीन लोगों के खड़े होने की जगह बनती है । जो लोग हार पकड़े हुए होते हैं अर्थात पुष्पहार को पकड़कर मंच तक लाते हैं ,उन्हें सुविधा यह हो जाती है कि वह ऐन मौके पर हार के अंदर अपना चेहरा आसानी से फिट कर लेते हैं । इसलिए अगर जुगाड़ करनी है तो हार बनवाने का ठेका खुद लो और स्वयं अपने हाथों से उसे लेकर बड़े नेता के शरीर पर पहनाने का राजनीतिक-लाभ प्राप्त करो । एक जमाना था ,जब हार गले में पहनाए जाते थे । लेकिन अब हार बड़े बनने लगे हैं। आईडिया जिसका भी हो ,उसकी अक्ल की दाद देनी पड़ेगी । अधिक से अधिक लोग नेताजी के पुष्पहार के भीतर समा जाएँ, इसके लिए फूलों के हार का आकार रोजाना बढ़ रहा है। कई लोगों का विचार है कि जितना बड़ा मंच है ,उतना बड़ा फूलों का हार होना चाहिए। लेकिन दिक्कत यह है कि उसमें बड़े नेता जी बीच में छुप जाएंगे और नजर नहीं आएंगे। इसलिए पुष्पहार का आकार एक निश्चित सीमा से बहुत ज्यादा नहीं बढ़ सकता।
कई बार हार के अंदर प्रविष्ट होने के लिए छुटभैया नेताओं में भारी धक्का-मुक्की होने लगती है । इसे देखकर बड़े नेता जी अगर दुबले-पतले हैं तो पीछे हट जाते हैं । फोटो का कार्यक्रम बिना बड़े नेता के ही निपट जाता है । फिर बाद में ध्यान आता है कि अरे ! जिनके साथ फोटो खिंचाना था ,वह तो पुष्पहार के बाहर ही रह गए । तब सम्मान सहित उनको हार के अंदर लाया जाता है ।
जो लोग राजनीति में आएँ ,उनका बाहुबली अर्थात पहलवान होना बहुत जरूरी है । यह नहीं कि सींक-सलाई शरीर है और पुष्पहार के पास आकर खड़े हो गए । ऐसे में तो चार जने धक्का देकर आपको छह फीट दूर हटा ही देंगे । राजनीति पांँव को मजबूती से थाम कर खड़े रहने की कला का नाम है । जैसे भी हो ,कोहनी से टक्कर मारो और अपना मुखमंडल पुष्पहार के भीतर ले आओ । तुम्हारी राजनीति सफल हो जाएगी।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451