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1 Jan 2023 · 1 min read

गुनाहों की हवेली

यह ज़ुल्म और नाइंसाफी
उन्हें बहुत महंगी पड़ेगी!
अभी अगर है चुप जनता
हमेशा ही तो नहीं रहेगी!!
सदियों से मेहनतकशों की
गर्दन पर जो खड़ी हुई है!
आज नहीं तो कल वह
गुनाहों की हवेली ढहेगी!!
Shekhar Chandra Mitra
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