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31 Dec 2022 · 1 min read

नफ़रत के बाजार में,,,

नफ़रत के बाजार में मुहब्बत की दुकान खोल रहा हूँ,
अब तक बंद पड़ी जुबान,मैं वही जुबान खोल रहा हूँ।

ज़हर-ए-फिजां में,है मुश्किल,अब सांस लेना देखिऐ,
सब दर बंद है चलो,आज अपना मकान खोल रहा हूँ।

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

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