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28 Dec 2022 · 1 min read

बाजा दाँत बजा रहे,ढपली ठिठुरे गात

बाजा दाँत बजा रहे,ढपली ठिठुरे गात
धुँआ उड़ाकर कर रही, सरगम मुँह से बात
सरगम मुँह से बात, रंग गालों का बदला
मटक रही है नाक, बजा कर खुद ही तबला
कहे ‘अर्चना’ बात, न निकले सूरज राजा
सर्दी का सुन राग,बज गया सबका बाजा

28-12-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

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