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20 Dec 2022 · 1 min read

राहतें.....

तुम्हे राहतों के नगर नहीं ढूंढने,
तुम्हे खुद राहत हो जाना है…

सुकून की नगरी बसर करती है तुम्हारे भीतर,
तुम्हे बस उस तक पहुँचने का रस्ता हो जाना है

सारिका आशुतोष मूंदड़ा

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