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16 Dec 2022 · 1 min read

ये जिंदगी

ना रुकने दे ना थमने दे चलने दे ये जिंदगी
कभी हँसाता तो कभी रुलाता है ये जिंदगी

राहों में फूल ही फूल बिछे मिले ऐसा होगा
काँटो को हटाकर जो चलाता है ये जिंदगी

मुट्ठी में भरकर रखना चाहे जो कोई भी
तब रेत की तरह फिसल जाता है ये जिंदगी

हर परिस्थिति में ढ़ल जाए बुद्धि से ले काम
वही अपना स्वर्ग जैसा बनाता है ये जिंदगी

कल की चिंता छोड़ जो आज में जीता है
उसे सफलता की सीढ़ी चढ़ाता है ये जिंदगी

गम में भी जो खुशियां ढूढ़ ले मौज से जिये
जिंदगी जीने का आसान रास्ता है ये जिंदगी

स्वरचित /

प्रेमयाद कुमार नवीन

जिला – महासमुन्द (छःग)

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