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12 Dec 2022 · 1 min read

बात यही है अब

बात यही है अब , तुम्हारी तुम जानो अब।
कहीं भी और कैसे भी , चाहे तुम रहो अब।।
बात यही है अब ————————-।।

क्या मेरा ख्वाब नहीं, क्या मेरी शान नहीं।
मेरी भी तो हस्ती है, क्या मेरा ईमान नहीं।।
मेरा भी है एक परिवार, ख्याल उसका है अब।
बात यही है अब ————————-।।

क्या नहीं किया है, तुमको रखने को खुश।
जुल्म जग के सहे, नहीं मिला तुमसे कुछ।।
किया मुझको ही बदनाम, नहीं प्यार तुमसे अब।
बात यही है अब ————————-।।

कितने ऑंसू मैंने अपने, तेरे लिए बहाये हैं।
मैंने अपने पसीने से, रोशन दीप तेरे किये हैं।।
किया मुझको ही बर्बाद, नहीं रिश्ता तुमसे अब।।
बात यही है अब ————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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