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2 Dec 2022 · 1 min read

■ ग़ज़ल / बिखर गया होगा...।।

#ग़ज़ल
■ बिखर गया होगा…।।
【प्रणय प्रभात】
★ अपनी हद से गुज़र गया होगा।
दिल था छोटा सा भर गया होगा।।

★ उस की बस्ती में रोशनी कम है।
चाँद नानी के घर गया होगा।।

★ दिल सँभलता कहाँ हथेली पर?
बन के पारा बिखर गया होगा।।

★ वक़्त पर वक़्त हाथ मे आया।
वक़्त का जख्म भर गया होगा।।

★ रात ज़ालिम है जानता हूँ मैं।
मेरा साया भी डर गया होगा।।

★ पूछना उस से मेरे बारे में।
बोल देगा वो मर गया होगा।।

★ जिस्म साए को छोड़ने से रहा।
थक के ख़ुद ही ठहर गया होगा।।

★ जो नज़र से उतर चुका कब का
अब ज़हन से उतर गया होगा।।

【#इंदौर_समाचार, मालवा हेरॉल्ड, कोलफील्ड मिरर व जबलपुर दर्पण में प्रकाशित ग़ज़ल】

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