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26 Nov 2022 · 1 min read

शबरी बाट निहारे

शबरी बाट निहारे
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राम! तुम्हारी शबरी बाट निहारे,
हर -पल है राम -राम पुकारे ।

सुमिरन करती पथ निहारे
आ जाओ राम ,
आकर मुझ भक्तन को दर्श दे दो राम।

अपनी कुटिया को पलकों से है बुहारा,
सुबह -शाम मैंने राम पथ तेरा निहारा।

तेरी राहों में अनंत है फूल बिछाए,
कबसे बैठी हूं तेरी ही आस लगाए।

तुमने दानव, असुरों को है तारे,
उनको भव सागर से पार उतारे।

तुमने शबरी को तारा कुटिया में आकर,
झूठे बेरों को शबरी के तुमने खाकर।

श्रीराम! चरणों की जो रज मिल जाए,
उस चंदन का तिलक अपने माथ लगाएं!!

राम तुम्हारी शबरी बाट निहारे ——

सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर

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