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26 Nov 2022 · 1 min read

उगता सूरज

उगता सूरज
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रोज सबेरे सूरज उगता,
करता अंधकार को दूर।
सूरज निकले नीलगगन में,
फैलाए उजियारा भरपूर।।

कलियां -कलियां डोलती,
हवा सुहानी चल रही।
धरा हो गई पीतांबरी,
ओस की बूंदें चमक रही।।

नवजीवन पौधों को मिलता,
धरती को मिलती हरियाली।
कुसुम -कलिका खिलाकर,
महकाते हैं डाली -डाली।।

सूरज देख चांद आसमां में छुप जाता।
अंधेरा हो जाने पर, चांद गगन में आ जाता।।

सूरज के जीवन से सीखो,
जीना स्वाभिमान के साथ।
अपनी एक पहचान बनाओ,
जग में जियो सम्मान के साथ।।

सूरज सारे जग को उजियारा देता।
कण-कण के तम को हर लेता।।

रोज सबेरे सूरज उगता —-
करता अंधकार को दूर —–

सुषमा सिंह*उर्मि,,

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