Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Nov 2022 · 1 min read

*कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है (मुक्तक)*

कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है (मुक्तक)
—————————————
धनुष-सी जिंदगी टेढ़ी, कभी ऋजु तीर होती है
कभी श्रम मूल में होता, कभी तकदीर होती है
अधूरी रह गई जिसकी, कहानी प्रेम की स्वर्णिम
कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है
________________________
ऋजु=सीधा
________________________
रचयिता; रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451

Loading...