यह कैसा तुमने जादू मुझपे किया

यह कैसा तुमने जादू मुझपे किया।
दिल मेरा तुमने काबू ऐसे किया।।
नहीं मतलब मुझको किसी से अब।
रोगी मुझको तुमने यह कैसा किया।।
यह कैसा तुमने———————–।।
नहीं लगता अच्छा कोई मुझको दूजा।
मैं करता हूँ हरवक्त तुम्हारी पूजा।।
नहीं चाहता मैं कुछ भी तुमसे सनम।
प्यार में तुमने महशूर मुझको किया।।
यह कैसा तुमने———————–।।
मैं सींच रहा हूँ यह गुलशन तेरा।
मैं कर रहा हूँ रोशन दीपक तेरा।।
रुठकर मुझसे दूर तुम जाना नहीं।
मैंने कुर्बान सब कुछ तुझपे किया।।
यह कैसा तुमने———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)