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25 Nov 2022 · 1 min read

हमें हटानी है

** गीतिका **
~~
भेदभाव की हर बाधा अब, हमें हटानी है।
मुक्त भाव से क्षमता अपनी, नित्य दिखानी है।

पीछे कोई क्यों रह जाए, सोच विचार करें।
सबको साथ लिए चलने की, लगन लगानी है।

गति जीवन की थमें नहीं अब, मन में हो निश्चय।
स्वच्छ सदा रहता है देखो, बहता पानी है।

भ्रमर किया करते हैं गुंजन, जब बसंत आता।
फूलों पर मँडराती रहती, तितली रानी है।

गम को गले लगाते क्यों हो, रहो प्रसन्न सदा।
छोड़ निराशा जीवन के प्रति, प्रीति जगानी है।

बहुत घुल चुका जहर हवा में, दुविधा में जीवन।
रोक प्रदूषण बंद करो अब, हर मनमानी है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/११/२०२२

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