*यह रोने की बात नहीं है,मरना नियम पुराना (गीत)*

यह रोने की बात नहीं है,मरना नियम पुराना (गीत)
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यह रोने की बात नहीं है, मरना नियम पुराना
(1)
तन में बचपन और जवानी, बूढ़ापन है आता
मुखड़ा झुर्रीदार शिथिल, पैरों से चला न जाता
इस शरीर का अंत यही है, इसको मुरझा जाना
(2)
लोग जन्म लेते फिर मरते, थोड़े दिनों ठहरते
रंगमंच-रूपी दुनिया में, अपना अभिनय करते
उसके बाद पता कब किसका, कोई नहीं ठिकाना
(3)
यूँ तो तन को बरस मिले सौ, पल की खबर नहीं है
छिपा काल पर्दे के पीछे ,शायद यहीं कहीं है
भस्म चिता की किसी नदी में, खोए लिए बहाना
यह रोने की बात बात नहीं है, मरना नियम पुराना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451