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25 Nov 2022 · 1 min read

- में अपना सबकुछ छोड़ चला साहित्य की गलियों में जीवन मोड चला -

– मे अपना सबकुछ छोड़ चला साहित्य की गलियों में जीवन मोड चला –

मे अपना सबकुछ छोड़ चला साहित्य की गलियो मे जीवन मोड चला,
कवियो के कुटुम्ब में अब रहना मुझको में अपना कुटुम्ब यू छोड़ चला,
रहना अपने काव्य धर्म में अपना धर्म कर्म में छोड़ चला,
मेरी जाति को धर्म को बस एक नाम से ही जाना जाए,
मेरी जाति कवि हो जाए मेरा धर्म कवि हो जाए,
मे कवियों के संग रहु सदा ही उनके समक्ष रहु,
मां शारदे के समक्ष नत मस्तक रहु,

में अपना सबकुछ छोड़ चला साहित्य की गलियों में जीवन मोड चला,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

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