रोग से गर्दन अकड़ी( कुंडलिया)

रोग से गर्दन अकड़ी( कुंडलिया)
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अकड़ी गर्दन घूमता, सिर फिरकी की चाल
दिन में तारे दिख रहे , आँखें हैं बदहाल
आँखें हैं बदहाल , हाथ मोबाइल आया
दिन हो चाहे रात , खूब बस इसे चलाया
कहते रवि कविराय,राह अनुचित यह पकड़ी
लत को समझो रोग,रोग से गर्दन अकड़ी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451