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21 Nov 2022 · 1 min read

कविता

काम करो भई का करो, तुम इतना ना आराम करो, तन में भी जंग लग जाता है, क्यू इतना फिर आराम करो का करो भई का करो, तुम इतना न आराम करो। सूर्य सा गर चमकना चाहो, तपन अगन की सहना तुम, बेबस लाचारों पर भी दया करो, हराम की रोटी न खाना तुम, काम करो भई काम करो । चंद्रमा मे भी है दाग छुपा, हर जन ने ही है पाप किया, कथन यीशु का करना तुम, शत्रु पर भी तुम दया करो, का करो भई का करो, न इतना तुम आराम करो।।

Language: Hindi
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