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21 Nov 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

उनके दिल से उतरना बाकी है
यानी ग़म को निखरना बाक़ी है

दिल तो कब का वो तोड़ बैठे हैं
सिर्फ़ टुकड़े बिखरना बाक़ी है

रुक जा इक पल तू ऐ क़ज़ा मेरी
ज़िन्दगी को संवरना बाक़ी है

जल गईं दिल की हसरतें मेरी
अब तो बस आह भरना बाक़ी है

ज़िन्दगी मौत से जहाँ मिलती
ऐसी हद से गुज़रना बाक़ी है

होके रुसवा जहां में अब ख़ुद से
चाक़ दामन ये करना बाक़ी है

छा गई मौत सिर पे ऐ प्रीतम
दिल की धड़कन ठहरना बाक़ी है

प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)

Language: Hindi
276 Views
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