“गर्वित नारी”

“गर्वित नारी”
ना मैं अबला
ना ही बेचारी
सारे जग पर
मैं अकेली भारी,
मुझसे ही खिलती
घर की क्यारी
मेरे संग जूड़ी
बच्चों की किलकारी,
लक्ष्मी और सरस्वती मैं
मैं ही फूलवारी
नर मुझपे निर्भर
सारे जग से न्यारी,
ना ही आश्रित
ना मैं दुखियारी
गर्व से बोलूं
मैं हूं एक नारी।