Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2022 · 1 min read

बाट जोहती इक दासी

चितवन नेह छुपा न पाये
सुधि विरहन बनकर बैठी है।
फिर ऋतुराज कनखियों देखें
कोयल की बोली बहकी है।।

महुवा की सुरभित चंचलता
मन में भरती मिली उमंग
कुछ मलंग गीतों को साधे
चले बजाते ढोल मृदंग

नव-विकसित पल्लव ने बांधे
शाखों पर अनगिन घुंघरूं
अंग अंग मधुमास लपेटे
राह निहारें कुछ जुगनू

प्रिया बसंत के नेह से सजकर
भोग पूजती मोदक संग
टेसू दहक दहक मोहित कर
छोड़ें हर पग मोहक रंग।।

परदेसी ने लिखकर भेजी
ढाई आख़र प्रेम की पाती
पावन तुलसी निकट बैठकर
बाट जोहती है इक दासी

स्वरचित
रश्मि संजय श्रीवास्तव
(रश्मि लहर)
लखनऊ

Language: Hindi
346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दोहे
दोहे
seema sharma
नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
कृष्णकांत गुर्जर
बारिश!
बारिश!
Pradeep Shoree
जख्म सीनें में दबाकर रखते हैं।
जख्म सीनें में दबाकर रखते हैं।
अनुराग दीक्षित
नेता
नेता
surenderpal vaidya
बाईसवीं सदी की दुनिया
बाईसवीं सदी की दुनिया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हमसफ़र
हमसफ़र
Ayushi Verma
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Kanchan verma
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*बोली पर अंकुश रखो, सीखो शिष्टाचार (कुंडलिया)*
*बोली पर अंकुश रखो, सीखो शिष्टाचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बेइंतहा सब्र बक्शा है
बेइंतहा सब्र बक्शा है
Dheerja Sharma
माँ i love you ❤ 🤰
माँ i love you ❤ 🤰
Swara Kumari arya
खामोशी तेरी गूंजती है, घर की सूनी दीवारों में,
खामोशी तेरी गूंजती है, घर की सूनी दीवारों में,
Manisha Manjari
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - पूर्व आयुष निदेशक - दिल्ली
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
Danger Lady 🧛🧟
Danger Lady 🧛🧟
Ladduu1023 ladduuuuu
" झूमिंग "
Dr. Kishan tandon kranti
आज
आज
*प्रणय प्रभात*
शीर्षक - किस्मत
शीर्षक - किस्मत
Neeraj Kumar Agarwal
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
अश्विनी (विप्र)
दिन अंधेरे हैं, सबक चमकते हैं,
दिन अंधेरे हैं, सबक चमकते हैं,
पूर्वार्थ
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
#एक गुनाह#
#एक गुनाह#
Madhavi Srivastava
Pyar ka pahla khat likhne me wakt to lagta hai ,
Pyar ka pahla khat likhne me wakt to lagta hai ,
Sakshi Singh
2933.*पूर्णिका*
2933.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बनी बनाई धाक
बनी बनाई धाक
RAMESH SHARMA
Loading...