मारे –मारे फिरते फोटो ( हास्य-व्यंग्य )

मारे –मारे फिरते फोटो ( हास्य-व्यंग्य )
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जब से मोबाइल में कैमरा आया है, फोटुओं की बाढ़ आ गई है ।रोजाना ही हर कोई दस- पाँच फोटो खींच लेता है। समारोहों की 20- 25 फोटो फेसबुक और व्हाट्सएप पर पड़ी रहती हैं। रोजाना सौ-दो सौ फोटो डिलीट करने पड़ते हैं । यह जरूरी नहीं कि जो फोटो डिलीट किए जाएँ, वह सब आपके देखे हुए हों। अब इतने ज्यादा फोटो जब आएँगे ,तो उनको बगैर देखे हुए ही डिलीट करना पड़ेगा ।
यह भी एक तथ्य है कि ज्यादातर फोटो देखने योग्य नहीं होते अर्थात उनका चयन करके उन्हें सोशल मीडिया पर नहीं डाला जाता । कई फोटो तो इतने बेकार खींचे हुए होते हैं कि समझ में नहीं आता कि फोटो प्रेषित करने वाले ने उन्हें व्हाट्सएप या फेसबुक पर क्यों डाला । कोई फोटो हिला हुआ है ,कोई धुंधला है ,कोई आधा दिख रहा है । ऐसे फोटुओं का तो कोई औचित्य ही नहीं है । लेकिन फिर भी क्योंकि फोटो की कीमत अब रही नहीं । और जो चीज मुफ्त में मिलती है, उसका सम्मान समाप्त हो जाता है । वही हाल फोटो का हो रहा है।
पहले जमाना कुछ और था । फोटो खींचना और खिंचवाना एक बड़ा अवसर होता था । फोटोग्राफर को बुलाना पड़ता था। और तब वह बीस- पच्चीस फोटो खींचता था । उस समय कोई अगर फोटो खिंचवाने के लिए खड़ा है और उसका फोटो खिंच जाए, तो एक बड़ी उपलब्धि होती थी। ऐसा लगता था , जैसे इतिहास में नाम अमर हो रहा है।
एक बार एक शादी में मैं और मेरे दो परिचित फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हुए। जैसे ही फोटो खिंचने वाला था, उसी समय एक अपरिचित व्यक्ति आया और ग्रुपफोटो में खड़ा हो गया । बोला ” 3 लोगों का फोटो अच्छा नहीं रहता ।” फोटोग्राफर ने हम चारों का फोटो खींचा और उसके बाद फोटोग्राफर और वह चौथे सज्जन दोनों ही इधर-उधर हो गए । हम तीनों ने आपस में एक दूसरे से पूछा कि वह चौथा व्यक्ति कौन था ? पता चला कि उसे कोई नहीं जानता था । लेकिन वह महाशय तो इतिहास में अपना नाम अमर कर ही चुके थे।
कई बार फोटोग्राफर इतने चतुर नहींहोते थे कि वह ढंग से फोटो खींच सकें। इसलिए कुछ ऐसे फोटो भी होते हैं जिसमें दूल्हा- दुल्हन एक दूसरे को जयमाला पहना रहे हैं, लेकिन पुष्पहार से दोनों के ही चेहरे ढ़क गए । पता ही नहीं चल रहा कि दूल्हा कौन है, दुल्हन कौन है ? शादी किन-किन की हो रही है ?
कुछ फोटोग्राफर जरूरत से ज्यादा सजग होते हैं। वह एक बार की वजाए दो-दो तीन-तीन बार जयमाला पड़वा देते हैं । कई फोटोग्राफर तो पूरे कार्यक्रम के दौरान यही कहते रहते हैं …”जरा इधर देखिए… जरा इधर देखिए “…आदमी पता चला कि किसी को खाना खिला रहा है और फोटो खिंचवाने के चक्कर में भोजन का कौर मुँह की बजाय नाक में चला जा रहा है ।
खैर कुछ भी कहो ,फोटो खींचना चाहिए और जोरदार खींचना चाहिए ।अखबारों के फोटोग्राफर जब अखबार के लिए फोटो खींचते हैं, तब वह पहले से बता देते हैं कि आप लोग हमारी तरफ मत देखना । अगर आपने हमें देख लिया तो फोटो खराब हो जाएगा। इसलिए सब लोग इस तरह की एक्टिंग करते हैं कि मानो उन्हें पता ही न हो कि उनका फोटो खींचा जा रहा है । इस दृष्टि से पत्रकारिता वाली फोटो खिंचवाने में एक्टिंग का बड़ा भारी योगदान है।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9 99761 5451