*श्रेष्ठतम हरिनाम हो 【मुक्तक】*

श्रेष्ठतम हरिनाम हो 【मुक्तक】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लोभ से होकर रहित ,यह जिंदगी निष्काम हो
कर्म मानस में सजीव , सदैव आठों याम हो
आँख – कानों से सुनूँ – देखूँ नहीं कोई बुरा
जीभ से पावन परम अति श्रेष्ठतम हरिनाम हो
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451