*समूची सृष्टि में आनंद, मानव नित्य भरता है (मुक्तक)*

समूची सृष्टि में आनंद, मानव नित्य भरता है (मुक्तक)
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समूची सृष्टि में आनंद, मानव नित्य भरता है
निरंतर विश्व के शुभ हेतु, नूतन शोध करता है
सिखाई आदमी ने जानवर को सभ्यता लेकिन
वही बन के मनुज पशु खेद, पशुता पर उतरता है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 5451