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9 Nov 2022 · 1 min read

नयन – एक गजल

स्वप्न के जब बीज बोते हैं नयन.
खुद को खुद में ही डुबोते हैं नयन.

गर किसी दिन खो गए तो खो गए,
इश्क में कब रोज खोते हैं नयन.

वो निकल दिल से न पाएगा कभी,
रात-दिन जिसको सँजोते हैं नयन.

होने लगती है दिलों में गुदगुदी,
जब किसी से चार होते हैं नयन.

जब परायी पीर पर बहते कभी,
मानिए सच, पाप धोते हैं नयन.

प्रेम-सागर में लगाकर डुबकियाँ,
रात भर तकिया भिगोते हैं नयन.

नींद में भी चार मिसरे लिख दिए,
क्या पता कब यार सोते हैं नयन.

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 400 Views
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