Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2022 · 1 min read

मत देना

सुनी सुनाई बातों पर ध्यान मत देना
जहालत में पड़के कभी जान मत देना
लोग भूल जाते हैं इस्तेमाल करके यहाँ
औरों के तलवारों को मयान मत देना।
लाख बुरी लगे बातें बच्चों की ,बुजुर्गों
इस दौर में उन्हें मुफ्त ज्ञान मत देना ।
प्यार पर भरोसा एक हद तक है सही
इश्क़ में कर सबकुछ क़ुर्बान मत देना ।
नए साल के लिए एक वादा काफ़ी है
किसी को भी अपनी ज़ुबान मत देना।
दिलो-दिमाग दुरुस्त रखना है अजय
बेमक़सद किसी पे दिलोजान मत देना।
-अजय प्रसाद

1 Like · 322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जागृति
जागृति
Shyam Sundar Subramanian
पल
पल
Sangeeta Beniwal
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
Bhupendra Rawat
- बेहिसाब मोहब्बत -
- बेहिसाब मोहब्बत -
bharat gehlot
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
*You Reap What You Sow*
*You Reap What You Sow*
Veneeta Narula
एक ऐसा किरदार बनना है मुझे
एक ऐसा किरदार बनना है मुझे
Jyoti Roshni
यूँ ही नहीं
यूँ ही नहीं
हिमांशु Kulshrestha
नफरत से होता नहीं,
नफरत से होता नहीं,
sushil sarna
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अलबेला मंडला
अलबेला मंडला
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
इजाजत
इजाजत
Ruchika Rai
"पिता दिवस: एक दिन का दिखावा, 364 दिन की शिकायतें"
Dr Mukesh 'Aseemit'
कविता मेरी कच्ची है
कविता मेरी कच्ची है
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जो ख़ुद आरक्षण के बूते सत्ता के मज़े लूट रहा है, वो इसे काहे ख
जो ख़ुद आरक्षण के बूते सत्ता के मज़े लूट रहा है, वो इसे काहे ख
*प्रणय प्रभात*
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
निशब्द
निशब्द
Nitin Kulkarni
Problems are part of life, they will never stop coming. Ther
Problems are part of life, they will never stop coming. Ther
पूर्वार्थ
ग़रीबी भरे बाजार मे पुरुष को नंगा कर देती है
ग़रीबी भरे बाजार मे पुरुष को नंगा कर देती है
शेखर सिंह
शिक़ायत नहीं है
शिक़ायत नहीं है
Monika Arora
कलंक
कलंक
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
पर्यावरण
पर्यावरण
Rambali Mishra
स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
स्त्री का बल, स्त्री का संबल।
Kanchan Alok Malu
कभी-कभी सब खत्म होने के बाद ही एक नई शुरुआत होती है, शायद यह
कभी-कभी सब खत्म होने के बाद ही एक नई शुरुआत होती है, शायद यह
पूर्वार्थ देव
अनुभूति
अनुभूति
Shweta Soni
कैसा जुल्म यह नारी पर
कैसा जुल्म यह नारी पर
Dr. Kishan tandon kranti
रहा हमेशा एक सा, दुख-सुख मे अंदाज
रहा हमेशा एक सा, दुख-सुख मे अंदाज
RAMESH SHARMA
इंतज़ार एक दस्तक की।
इंतज़ार एक दस्तक की।
Manisha Manjari
एक बार पंडित अंकल है आए
एक बार पंडित अंकल है आए
Umender kumar
बाल्टी और मग
बाल्टी और मग
कार्तिक नितिन शर्मा
Loading...