आम आदमी बोला “वी वांट जस्टिस”( हास्य-व्यंग्य )

आम आदमी बोला “वी वांट जस्टिस”( हास्य-व्यंग्य )
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सड़क पर चलता हुआ आम आदमी मिला । मैंने पूछा “क्यों भाई ! तुम्हें न्याय चाहिए कि नहीं चाहिए ?”
वह क्षण भर के लिए भौचक्का रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि कोई उससे पूछ सकता है कि तुम्हें न्याय चाहिए । फिर कहने लगा “क्या बात हो गई साहब! आज तक तो कभी किसी ने नहीं पूछा ?”
मैंने कहा “तुम्हें नहीं पता ,इस समय सब लोग न्याय पाने के लिए नारे लगा रहे हैं ।”
आम आदमी कहने लगा” साहब ! हम तो सुबह को मॉर्निंग वॉक पर आए हुए हैं। हमने तो इस बारे में कुछ सोचा ही नहीं।”
मैंने कहा “यही तो दिक्कत है तुम्हारे साथ । तुम लोग कभी अपने लिए सोचते ही नहीं ।अगर 10 -15- 20 लोग भी मिलकर वी वांट जस्टिस …वी वांट जस्टिस का नारा लगाने लगे तो तुम्हारी तरफ ध्यान आकृष्ट होगा और तुमसे जाकर पूछा जाएगा कि क्यों भाई तुम्हें काहे का न्याय चाहिए।”
वह बोला “साहब ! हमें तो बड़ी जल्दी है। सोच रहे हैं कि 10-15 मिनट में टहल कर घर वापस जाएं ।”
“बस यही तो तुम लोगों की दिक्कत है। काम से काम रखते हो और आलतू- फालतू के बारे में कुछ नहीं सोचते । देखो सबसे पहले एक संगठन बनाओ । संगठन बनाने के बाद फिर यह सोचो कि नारा क्या लगाना है। अपनी माँगें बैठकर तय करो ,कौन-कौन सी तुम्हारी माँगे हो सकती हैं।”
” हमारी तो कोई माँग है नहीं।”
मैंने कहा” यह कैसे हो सकता है कि तुम्हारी कोई माँग न हो। जरा सोचो तुम सुबह टहलने के लिए जा रहे हो ,क्या तुम्हें साफ-सुथरी सड़क मिल रही है ?”
वह बोला “नहीं ”
मैंने कहा” क्या तुम्हें टहलने के लिए एक अलग फुटपाथ उपलब्ध हो पाया है?”
वह बोला “नहीं”
मैंने कहा “इसी को तो तुम्हारे साथ नाइंसाफी होना कहते हैं। अब तुम्हें वी वांट जस्टिस कहने का पूरा अधिकार है और तुम कह सकते हो।”
वह जो मरियल अंदाज में मॉर्निंग वॉक कर रहा था ,सहसा कमर सीधी करके खड़ा हो गया। मैंने कहा” अकेले तुम्हारे खड़े होने से कुछ नहीं होगा । यह जितने लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे हैं, इन सबको यही बात समझाओ ।फिर देखो कितनी बड़ी क्रांति हो जाएगी।”
उसने सब को समझाना शुरू किया ।कई लोगों ने कहा” बात तो सही है , लेकिन हमें कौन सा नारेबाजी करने के लिए यहाँ आना है । 10-20 मिनट के लिए टहलना है और फिर चले जाना है ।हमें वी वांट जस्टिस नहीं चाहिए ।”
वह आम आदमी निराश हो गया ।बोला यहाँ तो कोई भी वी वांट जस्टिस नहीं चल पा रही।”
मैंने कहा “कोई चिंता मत करो। दोपहर को 12:00 बजे सड़क पर आना और वहाँ वी वांट जस्टिस की तलाश करना।”
मेरे कहे अनुसार वह दोपहर 12:00 बजे नगर की व्यस्ततम सड़क पर आया। रास्ते में जाम था । मैंने कहा “अभी तुम कहाँ पर हो ? क्या यह जाम तुम्हारे कारण है ?”
वह बोला” नहीं ! मैं तो सड़क पर पैदल चल रहा हूँ।”
मैंने कहा” फिर किसके कारण है?”
वह बोला” नम्बर एक तो लोगों ने अपने शटर आगे बढ़ा रखे हैं।, इस कारण है।
दूसरा कारण शटर के आगे दुकानदारों का सामान रखा हुआ है ।
तीसरा कारण नालियों पर पत्थर नहीं पड़े हैं और वह स्थान चलने योग्य नहीं है ।
चौथा कारण स्कूटर मोटरसाइकिल सड़क पर खड़ी हुई हैं।
पाँचवा कारण प्रशासन की ओर से पार्किंग की कोई व्यवस्था बाजारों में नहीं है।”
” बस इससे ज्यादा तुम्हें और क्या चाहिए ? वी वांट जस्टिस के लिए पर्याप्त आधार है । उठो और नारा बुलंद कर दो । धरना नहीं देना है ,वरना मुकदमा ठोक दिया जाएगा। केवल वी वांट जस्टिस की तख्ती हाथ में लेकर आगे बढ़ते जाना है । फिर देखो अखबार वाले , मीडिया चैनल वाले – सब तुम्हारी आवाज को आगे बढ़ाएंगे और तुम्हें न्याय जरूर मिलेगा।”
पाठकों ! मेरा काम आम आदमी को केवल समझाना है कि भैया न्याय तुम्हें भी चाहिए । नारा लगा दो – वी वांट जस्टिस …..अब मैं जितना समझा सकता था , उतना समझा दिया। आगे आम आदमी की मर्जी । जय राम जी की।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451