*बिना देखे जो दौड़ा है, उसी का पैर फिसलेगा (हिंदी गजल/ गीतिका)*

बिना देखे जो दौड़ा है, उसी का पैर फिसलेगा (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
बिना देखे जो दौड़ा है, उसी का पैर फिसलेगा
ठहर कर सोचने से हल, समस्याओं का निकलेगा
2
जमाना भी बदल जाएगा, शुभ उपदेश देने से
मगर यह शर्त है उपदेश-कर्ता खुद भी बदलेगा
3
बहुत दब-ढक के रहता है, कई पीढ़ी से धन जिस पर
नया आया है जिसके पास, पैसा वह ही उछलेगा
4
दिखा है जिस भी बच्चे को, गगन में चॉंद का जादू
खिलौना जानकर उसके लिए ही खूब मचलेगा
5
सुना है पर्वतों की आज भी हैं चोटियॉं ऐसी
जहॉं का हिम न पिघला है, जहॉं का हिम न पिघलेगा
6
जगत में फूल दो दस को, सभी की आदतें परखो
कोई फूल सूॅंघेगा, तो कोई फूल मसलेगा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451