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31 Oct 2022 · 1 min read

उजड़ी हुई बगिया

मैं उस बगिया की
बुलबुल हूं
अब तक जो नहीं
आबाद हुई!
दिल में जो ख़ुशी की
नज़्म उठी
होठों पर आकर
फ़रियाद हुई!!
शिकारी से मिलकर
माली ने
हाय, ऐसी-ऐसी
चाल चली!
जो थोड़ी-बहुत
उम्मीद थी
वह भी आजकल
बर्बाद हुई!!
#इंकलाबी #शायरी #सियासी
#राजनीतिक #कविता #चुनावी
#अभिव्यक्ति #स्वतंत्रता #कवि

1 Like · 448 Views
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