Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2022 · 1 min read

* मनवा क्युं दुखियारा *

डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

तुमने ही तो राह दिखाई
मैं तो मात्र अकिन्चन हुँ
बैठ अकेला लिखने कविता
शब्द चयन को चिन्तित हुँ
मैं तो मात्र अकिन्चन हुँ

भोला भाला सीधा सादा
इक नन्हा बालक सा
मनवा इस मानव का
जग से हारा कभी न जीता
हुँ गया ठगा मैं थका सा
करनी सबकी साथ रहेगी
जैसा करेगें वही भरेंगे
आज नही तो कल
काल का पहिया दौड रहा हैं
सब को देगा फल

दिल को दुखा कर
मन को सता कर
चोटिल करता प्राणी
भगवन के दरवार में
लिखि गई सब कहानी

धर्म करम का ध्यान न रखता
दान सहायता कभी न करता
दीन दुखी के संकट से
जो लेता आन्खें फेर
वक्त पड़े पर सब आएगा
भई थोड़ी सी है देर

अरुण अकेला क्या कर लेगा
समझ समझ की बात है
समय समय का खेल है
बाकी तो दुखिया सब संसार है

271 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

#और चमत्कार हो गया !
#और चमत्कार हो गया !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
एक लेख
एक लेख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मुखौटा
मुखौटा
Brandavan Bairagi
सभी पुरुष तो यु ही बदनाम हे!
सभी पुरुष तो यु ही बदनाम हे!
पूर्वार्थ देव
जिस्म का ऐश्वर्य का गुलाब का चाय का सिगरेट का ड्रग्स का शराब
जिस्म का ऐश्वर्य का गुलाब का चाय का सिगरेट का ड्रग्स का शराब
Rj Anand Prajapati
जिंदगी के अनुभव– शेर
जिंदगी के अनुभव– शेर
Abhishek Soni
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
Ranjeet kumar patre
आप अच्छे लगे
आप अच्छे लगे
ruchi sharma
क़सम
क़सम
Shyam Sundar Subramanian
बुढ़ापा आता है सबको ,सभी एहसास करते हैं
बुढ़ापा आता है सबको ,सभी एहसास करते हैं
DrLakshman Jha Parimal
*चाचा–भतीजा* / मुसाफ़िर बैठा
*चाचा–भतीजा* / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सूरज - चंदा
सूरज - चंदा
Prakash Chandra
लो ना यार
लो ना यार
RAMESH Kumar
भाग्य मे जो नहीं होता है उसके लिए आप कितना भी कोशिश कर लो वो
भाग्य मे जो नहीं होता है उसके लिए आप कितना भी कोशिश कर लो वो
रुपेश कुमार
समरसता
समरसता
Khajan Singh Nain
विस्तार ____असीम की ओर (कविता) स्मारिका विषय 77 समागम(31))
विस्तार ____असीम की ओर (कविता) स्मारिका विषय 77 समागम(31))
Mangu singh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
Dr Meenu Poonia
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
Shweta Soni
"अजब "
Dr. Kishan tandon kranti
4558.*पूर्णिका*
4558.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
Otteri Selvakumar
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
Jyoti Roshni
बच्चा हो बड़ा हो,रिश्ता हो परिवार हो ,पैसा हो करियर हो
बच्चा हो बड़ा हो,रिश्ता हो परिवार हो ,पैसा हो करियर हो
पूर्वार्थ
!! शब्द !!
!! शब्द !!
Akash Yadav
घर की कैद
घर की कैद
Minal Aggarwal
Price less मोहब्बत 💔
Price less मोहब्बत 💔
Rohit yadav
..
..
*प्रणय प्रभात*
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
लोरी
लोरी
आकाश महेशपुरी
Loading...